(छंद 1)
सुन ले भाई, कहूं इतिहास,
कश्यप समाज का बड़ा है विकास।
ऋषि कश्यप की सन्तान हम,
धरती पे जिनसे बना विश्वास।
धरती से आकाश तलक,
हमने ही रच दी नई प्यास।
(कोरस)
कश्यप समाज की शान निराली,
ज्ञान में गहरा, कर्मों में सवाली।
सच्चाई का ये दीप जलाए,
हर दिल में जोश और प्रेम बढ़ाए।
(छंद 2)
नदियों की धार से रिश्ता गहरा,
कश्यप ने ज्ञान से खोला सवेरा।
वेद पुराण की गूंज हमारी,
संस्कृति की रचना की ये धारा।
सदियों से हमने जो नाम कमाया,
धरती पे धर्म का परचम फहराया।
(कोरस)
कश्यप समाज की शान निराली,
ज्ञान में गहरा, कर्मों में सवाली।
सच्चाई का ये दीप जलाए,
हर दिल में जोश और प्रेम बढ़ाए।
(छंद 3)
श्रम हमारा, पूजा है जिसकी,
कर्म ही पूजा, यही शक्ति जिसकी।
हमसे चले ये खेत और खलिहान,
मिट्टी की खुशबू, हमसे पहचान।
कश्यप के वंशज, गर्व से कहें,
हर एक दिल में सच्चाई बहें।
(कोरस)
कश्यप समाज की शान निराली,
ज्ञान में गहरा, कर्मों में सवाली।
सच्चाई का ये दीप जलाए,
हर दिल में जोश और प्रेम बढ़ाए।
(छंद 4)
हर पीढ़ी ने इतिहास रचाया,
दुनिया को सच्चाई का पाठ पढ़ाया।
आगे भी रखेंगे ये परचम बुलंद,
कश्यप समाज का हर दिल हो प्रचंड।
सम्मान, सेवा, प्रेम हमारी रीत,
कश्यप समाज की अलग है प्रीत।
(कोरस)
कश्यप समाज की शान निराली,
ज्ञान में गहरा, कर्मों में सवाली।
सच्चाई का ये दीप जलाए,
हर दिल में जोश और प्रेम बढ़ाए।
यह रागनी कश्यप समाज के गौरव, इतिहास, और
संस्कृति को बड़े ही सरल और प्रेरणादायक तरीके से दर्शाती है।