महाभारत के बाद जन्मी एक नई पहचान - Kashyap (Dhivar)

 



महाभारत का युद्ध समाप्त हो चुका था। कुरुक्षेत्र की धरती वीरों के रक्त से लाल हो गई थी। हजारों कुलों का नाश हो गया था, और राजवंशों के वंशज समाप्त होने की कगार पर थे। धर्म और अधर्म की इस भयानक लड़ाई के बाद समाज में एक नई समस्या उत्पन्न हुई—वर्णसंकर संतानों का जन्म।


युद्ध के कारण अनेकों कुल-गोत्र नष्ट हो गए, और अनेक स्त्रियाँ विधवा हो गईं। समाज में नई संतानों की उत्पत्ति हुई, जो किसी एक निश्चित कुल या वर्ण से संबंधित नहीं थीं। इन संतानों को पहचान देने और समाज में सुव्यवस्था बनाए रखने के लिए समाज के ज्ञानी जनों और राजाओं ने विचार-विमर्श किया। अंततः यह तय किया गया कि प्रत्येक व्यक्ति को उसके कर्म के आधार पर कार्य सौंपा जाएगा। इस प्रकार, एक नई सामाजिक व्यवस्था की नींव पड़ी।


कर्म ही पहचान बना

इस व्यवस्था के अंतर्गत कुछ लोगों को शस्त्र और सुरक्षा का कार्य दिया गया, जो योद्धा प्रवृत्ति के थे। कुछ को अन्न उपजाने का कार्य सौंपा गया, क्योंकि वे धरती से प्रेम रखते थे। कुछ को वाणिज्य और व्यापार करने का कार्य मिला, ताकि समाज आर्थिक रूप से समृद्ध हो सके। लेकिन इनमें से एक समुदाय ऐसा था, जिसे सबसे पवित्र कार्य सौंपा गया—जल की सेवा।

ये लोग निर्मल जल के रक्षक बनाए गए। इन्हें तालाब, नदियों और सरोवरों की देखभाल करने का उत्तरदायित्व दिया गया। समाज में इन्हें "धीवर" कहा गया। वे जल को शुद्ध रखते, नदियों से मछली पकड़ते, नाव चलाते और यात्रियों को एक तट से दूसरे तट तक सुरक्षित पहुँचाते। जल ही इनका जीवन बन गया, और कालांतर में यही इनकी पहचान बन गई।

धीवरों की महानता

धीवर समुदाय को समाज में एक विशेष स्थान प्राप्त था। वे नदियों के रखवाले थे, जल पर उनका आधिपत्य था। उनकी नावें तीर्थयात्रियों को पवित्र स्थलों तक ले जातीं, उनके जाल समाज के लिए आहार जुटाते, और उनके हाथ जल के प्रवाह को नियंत्रित करते। उनके बिना समाज अधूरा था।

धीवरों की सबसे बड़ी पहचान थी उनकी ईमानदारी और पवित्रता। वे जल के इतने समीप रहते थे कि उन्हें जल के समान ही निर्मल और सहज समझा जाने लगा। समाज के अन्य वर्गों ने भी उन्हें सम्मान दिया, क्योंकि बिना जल के जीवन की कल्पना असंभव थी।

समय के साथ बढ़ती पहचान

समय बीतता गया, और धीरे-धीरे यह कार्य परंपरा बन गया। पीढ़ी दर पीढ़ी धीवरों ने अपने कौशल को निखारा। वे कुशल नाविक बने, महान मछुआरे बने और जलमार्गों के रक्षक बने। उनकी कहानियाँ लोकगीतों में गूंजने लगीं, उनकी गाथाएँ कवियों द्वारा गाई जाने लगीं।

आज भी, यदि आप किसी नदी के किनारे जाएँ, तो आपको धीवरों की पहचान दिखेगी—उनकी मजबूत भुजाएँ नाव चलाते हुए, उनके कुशल हाथ जाल डालते हुए, और उनकी पवित्र आत्मा जल की लहरों के साथ एक होकर प्रवाहित होती हुई। महाभारत के बाद उत्पन्न यह एक नई पहचान थी, जो कर्म के आधार पर समाज में स्थापित हुई 

और सदियों तक बनी रही 

धीवर समुदाय जल से जुड़े कार्यों में निपुण रहा है, और भारत के विभिन्न क्षेत्रों में इसे अलग-अलग नामों से जाना जाता है। धीवर जाति के पर्यायवाची या समानार्थी जातियाँ इस प्रकार हैं:

1. निषाद – महाभारत और रामायण में इस समुदाय को निषाद कहा गया है। निषादराज गुह, जो श्रीराम के परम भक्त थे, इसी समुदाय के थे।

2. केवट – गंगा-यमुना नदी तटों पर बसने वाले नाविक और मल्लाह समुदाय को केवट कहा जाता है। रामायण में केवट प्रसंग प्रसिद्ध है।

3. मछुआरा – जो मुख्य रूप से मत्स्य पालन (मछली पकड़ने) का कार्य करते हैं, उन्हें मछुआरा कहा जाता है।

4. बिंद – यह समुदाय भी जल से संबंधित कार्यों, जैसे नाव चलाना और मत्स्य पालन, में संलग्न है।

5. माझी – बिहार, बंगाल और ओडिशा में इस समुदाय को माझी कहा जाता है।

6. राजगोंड धीवर – मध्य प्रदेश और छत्तीसगढ़ में इन्हें राजगोंड धीवर भी कहा जाता है।

7. टांगसाली – महाराष्ट्र में इस समुदाय को टांगसाली नाम से भी जाना जाता है।

8. गोड़िया – पूर्वी भारत में जल परिवहन और मत्स्य पालन से जुड़े समुदायों में इसे गोड़िया नाम से जाना जाता है।

9. सुरहुआ – यह भी धीवर समुदाय का एक अन्य नाम है, जो विभिन्न क्षेत्रों में जल कार्यों में संलग्न रहता है।

10. ढीमर – मध्य प्रदेश और छत्तीसगढ़ में धीवर समुदाय को ढीमर कहा जाता है।

इन सभी जातियों का मुख्य पेशा जल से जुड़ा रहा है, और यह सभी महर्षि कश्यप के वंशज माने जाते हैं।

#कश्यप_समाज #धीमर_समाज #कश्यप_जाति #कश्यप_समाज_विकास  #कश्यप_समाज_इतिहास #धीमर_संस्कृति #कश्यप_परंपरा #कश्यप_गोत्र #भारत_में_कश्यप #कश्यप_विरासत #धीमर_समाज_गौरव #कश्यप_महिमा #कश्यप_परिवार #धीमर_पारंपरिक_जीवन #कश्यप_समाज_विकास
#KashyapSamaj #DhimarCommunity #KashyapCaste #DhimarSamaj #KashyapHistory #DhimarCulture #KashyapTradition #KashyapGotra #KashyapHeritage #DhimarPride #KashyapSociety #DhimarHistory #KashyapLifestyle #DhimarPeople #KashyapLegacy



Post a Comment

Previous Post Next Post