संघर्ष और गौरव का प्रतीक-"कश्यप" सरनेम



शायद बहुत ही कम दोस्तों को पता है कि "कश्यप" सरनेम हमारे समुदाय की पुरातन पहचान के साथ-2 भारत सरकार द्वारा उद्घोशित सामाजिक पहचान भी है और हमारे समुदाय की पुरातन पहचान को संवैधानिक दर्जा दिलाने श्रेय स्व० जयपाल कश्यप जी को जाता है | अब "कश्यप" सरनेम के साथ-2 एक जाति के रुप में भी दर्ज हो गई है।

हमारे समुदाय के लोगों को अलग-2 नामों के सम्बोंधन से मुक्ति दिलाकर एक स्पष्ट वा सम्मान-सूचक पहचान "कश्यप" टाईटिल के रूप में दिलाने समुदाय के एकमात्र सर्वमान्य नेता आदरणीय स्व0 साँसद बाबू जयपाल सिंह कश्यप जी का जन्म गाव उझैनी जिला बुदौना (उत्तर प्रदेश) में 1 जुलाई 1935 को हुआ था | उनके पिता जी का नाम उस्ताद भुपल सिंह कश्यप् और माता का नाम श्रीमती रमा कश्यप् था । स्व0 श्री जयपाल कश्यप् जी 1980 में जनता दल (एस) से ओनला (यु०पी०) लोकसभा सीट से सांसद चुने गए थे । स्व0 श्री जयपाल कश्यप जी ने श्री कृष्णा इंटर कोलेज, बुदौन बी0काम० तथा लखनऊ विश्वा-विधाल्य से कानुन कि पदाई करी और पेशे से श्री कश्यप् सर्वोच्च न्यायलय में जाने माने वकील थे । समुदाय के लोगों के अलग-2 जातिसुचक नामों और दुर्दशा के कारण, उन्होंने समुदाये के लोगों को एक टाइटल से जोड़ने की मुहिम शुरू की और स्व0 श्री जयपाल जी के नेत्रुत्व में समुदाय के लोगों ने अपनी माँगो के समर्थन में दिल्ली जाम कर दी थी और मजबूरी में तत्कालीन प्रधानमंत्री ने समुदाय के लोगों के लिए संवैधानिक तौर पर "कश्यप्" सरनेम पर मोहर लगाई थी | समुदाय के संघर्ष का पर्याय बने स्व0 श्री जयपाल कश्यप् जी ने समुदाय को राष्ट्रीय स्तर पर राजनैतिक पहचान दिलाई और वो हमारी राजनैतिक और पुरातन सांस्कृतिक एकता का प्रतीक माने जाते है। 

आदरणीय साँसद स्व० जयपाल सिंह कश्यप जी को कोटि कोटि नमन । गर्व के साथ "कश्यप" सरनेम का प्रयोग करे ।


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