लोकमाता रानी रासमणि की स्मृति पर शत शत नमन।
रानी रासमणि जो धींवर जाति से थी और बंगाल के विश्वप्रसिद्ध दक्षिणेश्वर काली मंदिर की संस्थापिका थीं। रानी रासमणि ने अपने विभिन्न लोक सेवा कार्यों के माध्यम से प्रसिद्धि अर्जित की थी और अपनी जनहितैषी ज़मीन्दार की छवि तैयार की थी। उन्होंने तीर्थयात्रियों की सुविधा हेतु, कलकत्ता से पश्चिम की ओर स्थित, सुवर्णरखा क्षेत्र नदी से पुरी तक एक सड़क का निर्माण करवाया था। इसके अलावा, कलकत्ता के निवासियों के लिए, गङ्गास्नान की सुविधा हेतु उन्होंने केन्द्रीय और उत्तर कलकत्ता में हुगली के किनारे बाबुघट, अहेरिटोला घाट और नीमताल घाट का निर्माण करवाया था, जो आज भी कोलकाता के सबसे प्रसिद्ध और महत्वपूर्ण घाटों में से एक हैं। तथा उन्होंने, स्थापना के दौर में, इम्पीरियल लाइब्रेरी (वर्त्तमान भारतीय राष्ट्रीय पुस्तकालय, कोलकाता) एवं हिन्दू कॉलेज (वर्त्तमान प्रेसिडेन्सी विश्वविद्यालय, कोलकाता) वित्तीय सहायता प्रदान किया था। कोलकाता के धर्मतला (एस्प्लनेड) में रानी रासमणि के नाम से रानी रासमणि ऍवेन्यू है। कोलकाता के जानबाजार में उनकी पैतृक निवास के पास वाली सड़क का नाम रानी रासमणि रोड है। विवेकानन्द सेतु के मोड़ से दक्षिणेश्वर मंदिर तक जाने वाली सड़क का नाम भी रानी रासमणि मार्ग किया गया है। भारतीय डाक विभाग ने रानी रासमणि पर एक विशेष स्टाम्प जारी किया है। दक्षिणेश्वर मन्दिर के निकट स्थित फेरी घाट का नाम भी रानी रासमणि घाट है।