आज का मेरा ये लेख फलवा कहार के बलिदान को समर्पित हे आज उनकी आत्मा भी रोती होगी के जिस युद्ध में उन्होंने सब कुछ न्योछावर कर दिया लेकिन उनका समाज उन्हें याद भी नहीं कर सका।
तैमूर लांग युद्ध,,,,
तैमूर लांग का उत्तर भारत पर आक्रमण
तैमूर लंग ने मार्च सन् 1398 ई० में भारत पर अपने लगभग 92000 घुड़सवारों की सेना से भयानक आक्रमण कर दिया। तैमूर के हिन्दू कत्लेआम, लूट खसोट और अत्याचारों के बढ़ने पर संवत् 1455 (सन् 1398 ई०) में सर्वखाप पंचायत का एक बड़ा अधिवेशन मेरठ जिले के मध्य जंगलों में हुआ।
एक आह्वाहन पर पंचायती सेना में 80,000 मल्ल योद्धा सैनिक और 40,000 युवा महिलायें शस्त्र लेकर एकत्र हो गये।
जिनमे से एक थे फलवा कहार,,,
फलवा कहार के बारे में
ऐसा कहा जाता हे की मुज़फ्फरनगर सहारनपुरऔर हरिद्वार के बीच में महाबली फलवा कहार की सेना थी जिसने यहाँ तिमूर की सेना में भयंकर मार काट मचाई थी और उसे भागने पर विवश कर दिया था ,
पंचायती सेनाओं के योद्धा दिल्ली से मेरठ, मुजफ्फरनगर, सहारनपुर तथा हरद्वार तक फैल-फैल कर यथास्थान पहुंचकर इस सारे क्षेत्र में तैमूर की सेनाओं से भिड़ गये थे तथा उनसे छापामार युद्ध करके उन्हें ठहरने नहीं दिया था। शत्रुसेना को पहाड़ी मार्ग से भागने पर मजबूर कर दिया था
इन युद्धों में तैमूर के कुल ढ़ाई लाख सैनिकों में से 1,60,000 को मौत के घाट उतार दिया गया था और तैमूर की हिन्दू धर्म को नस्ट करने की आशाओं पर पानी फेर दिया था।