हिंदू समाज के महान रक्षक संत बाबा श्रीचन्द्र जी और उनके वीर सेवक बाबा कमलिया जी (मेहरा कश्यप)

 


श्रीगुरु नानक देव जी, जिन्होंने विश्व को "एक ओंकार सतनाम" का दिव्य संदेश दिया, उनके दो पुत्र हुए — श्रीचन्द्र जी और लखमीचन्द जी। श्री लखमीचन्द जी के वंश में धर्मचन्द और फिर उनके पुत्र नानकचन्द एवं मेहरचन्द हुए। लेकिन गुरु परंपरा को आगे बढ़ाया श्रीचन्द्र जी ने, जो योग, तप, समाज सेवा और हिंदू धर्म की रक्षा के लिए समर्पित हो गए।


🌿 बाबा श्रीचन्द्र जी – योग और राष्ट्रधर्म के महान प्रहरी


बाबा श्रीचन्द्र जी ने 149 वर्षों तक इस धरती पर जीवन व्यतीत किया, जो स्वयं में एक विलक्षण बात है। उन्होंने न केवल ध्यान और साधना की ऊंचाइयों को छुआ, बल्कि उस समय जब देश पर आक्रांता मुस्लिम शासकों का कहर टूटा था, तब उन्होंने एक धर्मयोद्धा की भूमिका भी निभाई।


उनके जीवन में एक अत्यंत महत्वपूर्ण स्थान उनके परमभक्त और सेवक बाबा कमलिया जी का रहा — जो मेहरा जाति से थे और कश्यप वंश के गौरवशाली उत्तराधिकारी थे। बाबा कमलिया ने 159 वर्षों तक जीवन जीया और जीवनभर बाबा श्रीचन्द्र जी की सेवा, संरक्षण और प्रचार में समर्पित रहे।


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🔥 काबुल-कंधार में हिंदू धर्म की रक्षा


जब बाबर के पुत्र कामरान मिर्जा का काबुल और कंधार पर क्रूर शासन था, तब हिंदुओं पर घोर अत्याचार हो रहे थे —


मंदिर बंद कर दिए गए,


शंखनाद, तिलक, जनेऊ जैसे हिंदू धर्म के प्रतीक निशिद्ध कर दिए गए।


तब बाबा श्रीचन्द्र जी अपने सेवक बाबा कमलिया के साथ काबुल की धरती पर पहुंचे।


> "जहां अन्य डर के मारे चुप थे, वहां बाबा श्रीचन्द्र ने शंखनाद किया।"


बाबा कमलिया से उन्होंने धूना जलवाया और स्वयं तप में बैठ गए। उन्होंने कहा —

"कमलिया, जोर-जोर से शंख बजाओ!"


कमलिया जी ने आदेश का पालन किया। शंखनाद की आवाज़ पूरे काबुल में गूंज गई। यह अपराध था! कामरान मिर्जा के सैनिक वहां आए और बाबा कमलिया को पकड़ने जैसे ही आगे बढ़े, वे सभी सैनिक पत्थर के बुत बन गए।


उसी समय बादशाह कामरान मिर्जा के पेट में तेज़ दर्द शुरू हुआ। वैद्य और हकीम सब विफल हो गए। अंत में एक दरबारी ने सुझाव दिया —

"काबुल के बाहर एक हिंदू फकीर (बाबा श्रीचन्द्र) तप कर रहे हैं, वही इसका कारण हो सकते हैं। क्षमा मांगिए।"


कामरान मिर्जा ने बाबा श्रीचन्द्र जी से क्षमा मांगी और उन्हें पूजा-पाठ की स्वतंत्रता दी। तुरंत उसका दर्द समाप्त हुआ और पत्थर बने सिपाही भी जीवित हो उठे।


बाबा श्रीचन्द्र जी ने कहा —

"यदि तूने फिर से हिंदू धर्म पर अत्याचार किए, तो तुम्हारा राज्य समाप्त हो जाएगा।"


उसके बाद काबुल और कंधार में हिंदुओं ने फिर से मंदिरों में पूजा, शंखनाद, आरती और तिलकधारण करना प्रारंभ किया।


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💠 बाबा कमलिया जी – नायक जिन्होंने चुपचाप इतिहास रचा


बाबा कमलिया जी, एक मेहरा कश्यप जाति से थे, जिनका जीवन प्रेरणा का स्रोत है। उन्होंने जीवनभर न सिर्फ सेवा की, बल्कि धर्म की रक्षा में बाबा श्रीचन्द्र जी के साथ हर संघर्ष में कदम से कदम मिलाकर खड़े रहे। वे न सिर्फ सेवक थे, बल्कि एक योगी, धर्मनिष्ठ, और अद्भुत बलशाली पुरुष थे। उन्होंने ये सिद्ध किया कि जाति-पाति से ऊपर उठकर कोई भी व्यक्ति महापुरुष बन सकता है।


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⚔️ अन्य प्रेरक प्रसंग – राष्ट्रनायक से साक्षात्कार


बाबा श्रीचन्द्र जी ने न केवल उत्तर भारत, बल्कि अफगानिस्तान तक जाकर हिंदू समाज की रक्षा की, बल्कि उन्होंने समर्थ गुरु रामदास और महाराणा प्रताप जैसे महापुरुषों को भी प्रेरित किया।


समर्थ गुरु रामदास, जिन्होंने छत्रपति शिवाजी जैसे योद्धा को तैयार किया।


महाराणा प्रताप, जिन्होंने धर्म और स्वराज्य की रक्षा हेतु जीवन अर्पित कर दिया।


इन दोनों महापुरुषों को धर्म की राह पर दृढ़ रहने की प्रेरणा बाबा श्रीचन्द्र जी से मिली।


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📚 प्रामाणिक पुस्तक: "भारत के महान संत – हिन्दू समाज रक्षक बाबा श्रीचन्द्र जी"


यह अद्भुत शोधपूर्ण पुस्तक श्री देवेंद्र पाल बटाला, जिला गुरदासपुर द्वारा लिखी गई है। यह उनकी 14वीं पुस्तक है, जिसमें उन्होंने ऐतिहासिक तथ्यों के साथ बताया है कि कैसे एक संत, एक सेवक और एक विचारधारा मिलकर पूरे समाज को बदल सकते हैं।

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🌺 निष्कर्ष:


बाबा श्रीचन्द्र जी केवल योगी नहीं, हिंदू धर्म के संरक्षक, समाज सुधारक और साहसी क्रांतिकारी थे।

बाबा कमलिया जी, एक साधारण मेहरा जाति के युवक से महान संत के अभिन्न अंग बनकर अमर हो गए।

आज के समाज को ऐसे धर्मयोद्धाओं का जीवन से सीख लेने की आवश्यकता है।


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