हरियाणा में कश्यप समाज, जो राज्य की कुल जनसंख्या का लगभग 20% हिस्सा रखता है, अब राजनीतिक रूप से सक्रिय होता जा रहा है। लोकसभा और विधानसभा चुनावों की आहट के साथ ही समाज ने अपने अधिकारों और प्रतिनिधित्व की मांग को बुलंद कर दिया है। इसी कड़ी में, शुक्रवार को करनाल की कश्यप धर्मशाला में "आरक्षण जन जागरण अभियान" का आयोजन किया गया, जिसमें उत्तर प्रदेश सरकार के कैबिनेट मंत्री एवं निषाद पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष डॉ. संजय निषाद विशेष रूप से उपस्थित रहे।
कश्यप समाज का ऐतिहासिक योगदान और उपेक्षा
अपने संबोधन में डॉ. संजय निषाद ने कहा कि कश्यप समुदाय का भारत की स्वतंत्रता संग्राम में अहम योगदान रहा है। उन्होंने बताया कि इस समुदाय को बुद्धि धीमर के नाम से जाना जाता था, जिसका अर्थ "राजकुमार" होता है। इतिहास के विभिन्न कालखंडों में मुगलों और अंग्रेजों ने इस समाज को कमजोर करने का प्रयास किया, जिससे यह समुदाय आर्थिक और सामाजिक रूप से पिछड़ता चला गया।
डॉ. निषाद ने यह भी बताया कि अंग्रेजों ने इस समुदाय को "क्रिमिनल कास्ट" घोषित कर दिया था, जिससे इनके सामाजिक अधिकार छिन गए। आजादी के बाद भी, संविधान निर्माण में योगदान देने के बावजूद, कश्यप समाज को उनके उचित अधिकार नहीं मिल सके। उन्होंने कहा कि यह समुदाय लोकसभा, राज्यसभा और विधानसभा में उचित प्रतिनिधित्व का हकदार है।
राजनीतिक अधिकार और आरक्षण की मांग
डॉ. निषाद ने कहा कि 1935-36 में जब "सेकेंड इंडिया" बना था, तब कश्यप समाज को अनुसूचित जाति में शामिल करने की बात हुई थी, क्योंकि यह समाज अंग्रेजों के खिलाफ लड़ रहा था। हालांकि, 1950 में संविधान लागू होने के बाद, कुछ राजनीतिक षड्यंत्रों के चलते इस समुदाय को अनुसूचित जाति से बाहर कर दिया गया। उन्होंने इस बात पर जोर दिया कि इस अन्याय को समाप्त किया जाना चाहिए और कश्यप समाज को उनके वास्तविक अधिकार वापस मिलने चाहिए।
उन्होंने कहा कि निषाद पार्टी इस लड़ाई को सड़क से लेकर संसद तक ले जाने के लिए प्रतिबद्ध है और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में इस समाज को उसका उचित स्थान दिलाने का प्रयास कर रही है।
हरियाणा में कश्यप समाज की राजनीतिक शक्ति
हरियाणा में कश्यप समाज की राजनीतिक स्थिति पर चर्चा करते हुए निषाद पार्टी के प्रदेश अध्यक्ष सुशील कश्यप ने कहा कि यह समाज राज्य की 35 विधानसभा सीटों पर निर्णायक प्रभाव रखता है। उन्होंने कहा कि आजादी के 75 वर्षों में कश्यप समाज के केवल चार विधायक ही बन पाए हैं, जबकि जनसंख्या के अनुपात में यह संख्या 200 से अधिक होनी चाहिए थी।
उन्होंने इस बात पर भी रोष जताया कि हरियाणा में कश्यप समाज का कोई मंत्री, आईपीएस या आईएएस अधिकारी नहीं है। ऐसे में, समाज को अब अपनी राजनीतिक और सामाजिक हिस्सेदारी सुनिश्चित करने के लिए एकजुट होकर प्रयास करना होगा।
निषाद पार्टी का विस्तार और अनुसूचित जाति में शामिल करने की मांग
देश में निषाद पार्टी के 11 विधायक हैं और पार्टी एनडीए गठबंधन का हिस्सा है। हरियाणा में भी इस पार्टी का विस्तार किया जा रहा है, ताकि कश्यप समाज को एक मजबूत राजनीतिक पहचान मिल सके।
सुशील कश्यप ने यह भी बताया कि यूपी और बिहार में कश्यप समाज को अनुसूचित जाति में शामिल करने की मांग की जा रही है। कई राज्यों में इस समाज को अनुसूचित जाति प्रमाण पत्र दिया जाता है, लेकिन हरियाणा में यह सुविधा उपलब्ध नहीं है। उन्होंने कहा कि यह समाज अब चुप नहीं बैठेगा और अपने अधिकारों के लिए संघर्ष करेगा।
स्वागत समारोह और निष्कर्ष
इस अभियान के तहत, डॉ. संजय निषाद का समालखा में रेलवे रोड पुल के नीचे, पानीपत टोल टैक्स पर और घरौंडा में दिल्ली चुंगी पर भव्य स्वागत किया गया। करनाल की कश्यप धर्मशाला में उन्होंने समाज के लोगों को संबोधित किया और उन्हें अपने अधिकारों के लिए संघर्ष करने के लिए प्रेरित किया।
इस पूरे अभियान का उद्देश्य कश्यप समाज को एकजुट करना और उन्हें उनके संवैधानिक अधिकार दिलाने के लिए एक सशक्त राजनीतिक शक्ति के रूप में स्थापित करना है। आने वाले चुनावों में समाज की यह एकजुटता राजनीति में नए समीकरण बना सकती है।