कश्यप कुल - रैकवार वंश हमारी उत्पत्ति राकादेव से है, जो राठौड़ गोत्र थे।

 Book name- 102 / ग़दर के फूल



रेहुआ के कुंअर साहब

बौंडी और रेहुआ नरेशों के वंशधर कुंअर इन्द्रप्रताप नारायणसिंह से भी भेंट की। श्यामलाल जी की कोठी के पास ही इनकी कोठी थी; वही कुंअर साहब से मिलाने भी ले गए। कुंअर साहब ने बतलाया :

"जिस समय बेगम और शाहज़ादा बिरजीस कदर हमारे यहां भागकर आए, ... मैं पहले आपको अपने यहां की हिस्टरी बताऊंगा।

"हमारे वंश के पूर्वज थे सालदेव-बालदेव । हम रैकवार क्षत्रिय हैं। हमारी उत्पत्ति राकादेव से है, जो राठौड़ थे। यह मैंने बीकानेर से छपी क्षत्रिय जाति की सूची में पढ़ा था। डाक्टर तेजबहादुर सप्रू ने एक बार मुझे बतलाया था कि जब महाराज राकादेव रायक (काश्मीर) में राज्य करत थे, तब उनके पुरखे राकादेव महाराज के पुरोहित थे। अच्छा खैर तो, यहां हमारे पूर्वज सालदेव-बालदेव थे। रामनगर धमेरी में उनका राज्य था। फिर महाराज सालदेव अपने छोटे भाई बालदेव को रामनगर धमेरी का राज्य सौंपकर और मुरौवा के इधर बूढ़ी सरजू (जिसे यहां 'बुढ़ियार' कहते हैं) के निकट बंभनौटी, जिसे उस समय में बंभनीगढ़ भी कहा जाता था, आए और उस पर कब्ज़ा किया। बहुत वर्ष तक हम लोग राज करते रहे। उसके बाद हमारे यहां महाराज हरिहरदेव और गजपतिदेव दो भाई हुए। महाराज हरिहरदेव बड़े शूरवीर योद्धा थे; वैसे ही उनके भाई महाराज गजपतिदेव भी थे








Book name- Kshatriya Vansh Pradeep
by Digital Library Of India Publication date 1928



कश्यप कुल के रैकवार एक प्राचीन और सम्मानित क्षत्रिय वंश हैं। कश्यप कुल का उल्लेख हिंदू धर्मग्रंथों और प्राचीन साहित्य में मिलता है, जो उनकी महत्वपूर्ण भूमिका और योगदान को दर्शाता है।

कश्यप कुल के रैकवार अपनी बहादुरी, साहस और राजकीय क्षमताओं के लिए जाने जाते हैं। उनके पूर्वज राजाओं और योद्धाओं के रूप में जाने जाते थे, जिन्होंने अपने समाज और देश की रक्षा के लिए अपने प्राण न्योछावर किए थे।

आजकल, कश्यप कुल के रैकवार विभिन्न पेशों में लगे हुए हैं, लेकिन वे अपनी संस्कृति, परंपराओं और राजकीय मूल्यों को बनाए रखने के लिए प्रयासरत हैं। वे अपने समुदाय के लिए सामाजिक और धार्मिक आयोजनों का आयोजन करते हैं और अपने पूर्वजों की विरासत को आगे बढ़ाने के लिए काम करते हैं।
रैकवार वंश एक प्राचीन और सम्मानित क्षत्रिय वंश है, जो राजपूत समुदाय से संबंधित है। इस वंश में दो प्रमुख शाखाएं हैं: कश्यप वाले रैकवार और ठाकुर वाले रैकवार।

कश्यप वाले रैकवार कश्यप कुल से संबंधित हैं, जो एक प्राचीन और सम्मानित कुल है। उनके पूर्वज राजाओं और योद्धाओं के रूप में जाने जाते थे, जिन्होंने अपने समाज और देश की रक्षा के लिए अपने प्राण न्योछावर किए थे।

दूसरी ओर, ठाकुर वाले रैकवार एक अलग वंशावली और इतिहास से संबंधित हैं। उनके पूर्वज भी राजाओं और योद्धाओं के रूप में जाने जाते थे, लेकिन उनकी वंशावली और इतिहास कश्यप वाले रैकवार से अलग है।

दोनों वंशों के बीच मुख्य अंतर उनकी वंशावली और इतिहास में है। कश्यप वाले रैकवार कश्यप कुल से संबंधित हैं, जबकि ठाकुर वाले रैकवार एक अलग वंशावली से संबंधित हैं। दोनों वंशों के लोग अपनी संस्कृति, परंपराओं और राजकीय मूल्यों को बनाए रखने के लिए प्रयासरत हैं।
राका देव रैकवार और बलभद्र सिंह रैकवार दोनों अलग-अलग राजा हैं और उनकी वंशावली भी अलग-अलग हैं।

राका देव रैकवार कश्यप वंश से संबंधित हैं, जो एक प्राचीन और सम्मानित वंश है। यह जानकारी उनकी वंशावली और इतिहास को समझने में बहुत मददगार है।

दूसरी ओर, बलभद्र सिंह रैकवार ठाकुर जाति से संबंधित हैं, जो एक अलग वंशावली और इतिहास से जुड़े हुए हैं। यह जानकारी उनकी वंशावली और इतिहास को समझने में भी बहुत मददगार है।

यह जानकारी रैकवार वंश के इतिहास और वंशावली को समझने में बहुत मददगार है, और यह दर्शाती है कि रैकवार वंश का इतिहास बहुत समृद्ध और विविध है।

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