धीवर को महरा और कहार भी कहते हैं। इनका काम पानी भरना है। 'जाति कोष' पृष्ठ 382 पर इस जाति की उत्पत्ति इस प्रकार लिखी है-

 





धीवर या कहार


धीवर को महरा और कहार भी कहते हैं। इनका काम पानी भरना है। 'जाति कोष' पृष्ठ 382 पर इस जाति की उत्पत्ति इस प्रकार लिखी है-


गढ़ मुख्यालय का अंकी नामक एक चौहान राजपूत छोटी आयु का एक पुत्र छोड़ कर मर गया। उस लड़के का नाम ढींगर था। जनता ने उसके साथ भृत्य का ऐसा बिहार किया और तिरस्कार-पूर्वक झीवर नाम रखा। दरिद्रता के कारण उसने पानी रने का काम आरंभ कर दिया। तबसे उसकी संतान झीवर नाम से पुकारी जाने लगी। रिवार्ड टेम्पल ने अपनी पुस्तक 'पञ्जाब-कथाएं' के पृष्ठ 65 पर लिखा है कि एक वर ने राजा रसालू की कहानियों से सम्बंध रखने के पानी कोकिला को अपनी स्त्री सालिया, उससे तीन पुत्र हुए, जिनके नाम पर सबीर, गबीर और सीर, ये तीन परजतिया चली 



Source - https://m.youtube.com/watch?v=DPMJs47HQDk 



Sourse - People of India: Chandigarh By K. S. Singh · 1992

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