गीता जयंती के पावन अवसर पर कश्यप राजपूत सभा के द्वारा सभी वर्गों के लोगों के लिए एक मुफ्त चाय स्टॉल लगाया |





 गीता जयंती के पावन अवसर पर कश्यप राजपूत सभा द्वारा एक विशेष कार्यक्रम का आयोजन किया गया। इस कार्यक्रम के तहत सभा ने समाज के सभी वर्गों के लोगों के लिए एक मुफ्त चाय स्टॉल लगाया। इस पहल का उद्देश्य लोगों को एकजुट करना और इस धार्मिक पर्व को मिलजुल कर मनाना था। चाय स्टॉल पर बड़ी संख्या में लोग आकर इस आयोजन का लाभ उठाया। सभा के सदस्यों ने अपनी पूरी श्रद्धा और समर्पण के साथ इस आयोजन को सफल बनाने में योगदान दिया, जिससे कार्यक्रम को अपार सफलता प्राप्त हुई। यह कार्यक्रम न केवल गीता जयंती की महिमा को बढ़ाने का एक माध्यम था, बल्कि समाज में भाईचारे और एकता को प्रोत्साहित करने का भी एक अहम प्रयास था।



गीता जयंती, भगवद गीता के दिव्य संवाद की स्मृति में मनाई जाती है, जो भारतीय संस्कृति और धर्म का एक अहम हिस्सा है। यह जयंती आमतौर पर हर साल मार्गशीर्ष माह के शुक्ल एकादशी को मनाई जाती है, जो दिसंबर या जनवरी महीने में आती है। गीता जयंती का महत्व इस कारण से विशेष है कि इसी दिन भगवान श्री कृष्ण ने महाभारत के युद्धभूमि पर अर्जुन को गीता का उपदेश दिया था।


भगवद गीता एक महान धार्मिक ग्रंथ है, जिसमें भगवान श्री कृष्ण ने अर्जुन को धर्म, कर्म, भक्ति, योग और जीवन के सही मार्ग पर चलने के बारे में उपदेश दिया। गीता के उपदेशों में जीवन के हर पहलू पर ध्यान दिया गया है और यह जीवन को समझने का एक गहरा मार्गदर्शन प्रस्तुत करता है। गीता का संदेश न केवल धार्मिक दृष्टि से, बल्कि समाज और व्यक्तिगत जीवन के लिए भी अत्यंत महत्वपूर्ण है।


गीता जयंती के दिन मंदिरों में विशेष पूजा, हवन और पाठ आयोजित होते हैं। श्रद्धालु इस दिन भगवद गीता के श्लोकों का उच्चारण करते हैं और गीता के ज्ञान को अपने जीवन में अपनाने का संकल्प लेते हैं। इस दिन कई जगहों पर धार्मिक उत्सव और कार्यक्रम आयोजित किए जाते हैं, जिनमें गीता के महत्व को सभी के बीच फैलाया जाता है। गीता जयंती एक दिन नहीं बल्कि पूरे जीवन के लिए एक प्रेरणा का प्रतीक है, जो मानवता और धर्म के मार्ग पर चलने की प्रेरणा देता है ।


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